loading

Tag: The Dual Nature of Saturn: Challenges and Rewards

  • Home
  • Tag: The Dual Nature of Saturn: Challenges and Rewards

How can Saturn’s placement affect your career in 2025?

How can Saturn's placement affect your career in 2025?

Saturn's placement affect शनि ग्रह Saturn's placement affect हमारी कुंडली में विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसे कर्मफल दाता कहा जाता है। शनि हमारे जीवन में अनुशासन, कठोर परिश्रम, और धैर्य का प्रतीक होता है। कुंडली में शनि की स्थिति यह दर्शाती है कि हमारे कर्मों का फल हमें किस रूप में मिलेगा और किस क्षेत्र में हमें अधिक मेहनत करनी होगी।

कुंडली में शनि के प्रभाव (How can Saturn's placement affect)  को समझने के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

 
  1. शनि की स्थिति (स्थान): Saturn's placement affect  जिस भाव या घर में शनि स्थित होता है, उस जीवन क्षेत्र में व्यक्ति को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन साथ ही, शनि इन क्षेत्रों में सफलता भी दिला सकता है, बशर्ते व्यक्ति धैर्य और मेहनत से काम करे।
  2. शनि का राशि पर प्रभाव: शनि जिन राशियों में शुभ होता है, वहाँ यह स्थायित्व, अनुशासन और कड़ी मेहनत के बाद मिलने वाली सफलता का संकेत देता है। वहीं, यदि शनि अशुभ स्थिति में हो या कमज़ोर हो, तो उस व्यक्ति को जीवन में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।
  3. साढ़े साती और ढैया: शनि की साढ़े साती और ढैया के समय व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार के परीक्षणों से गुजरना पड़ता है। इस दौरान शनि व्यक्ति के धैर्य और कर्म का परीक्षण करता है, लेकिन सही दृष्टिकोण से इन चुनौतियों को पार करने पर जीवन में सफलता और स्थायित्व प्राप्त होता है।
  4. शनि का गोचर: शनि का गोचर (परिवर्तन) व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण घटनाओं का संकेत देता है। जब शनि किसी विशेष राशि में प्रवेश करता है, तो उस अवधि में संबंधित भाव पर उसका असर होता है, और वह व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन ला सकता है।
  5. कर्म और न्याय: शनि व्यक्ति के पिछले कर्मों के आधार पर न्याय करता है। यह हमें हमारे कर्मों का परिणाम देता है, चाहे वह अच्छे हों या बुरे। इसलिए शनि का प्रभाव यह सिखाता है कि हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए और सही मार्ग पर चलना चाहिए। शनि का कुंडली में प्रभाव कठिनाइयाँ लाता है, लेकिन यह भी सिखाता है कि धैर्य, अनुशासन और कड़ी मेहनत से किसी भी समस्या का समाधान पाया जा सकता है।

कुंडली में शनि का प्रभाव प्रत्येक भाव में

Saturn's placement affect   कुंडली में शनि का प्रभाव प्रत्येक भाव (घर) में अलग-अलग प्रकार से होता है और जिस भाव में शनि स्थित होता है, उस भाव के जीवन के क्षेत्रों पर गहरा असर डालता है। यहां शनि के विभिन्न भावों में होने पर उसका प्रभाव संक्षेप में बताया गया है:
  1. प्रथम भाव (लग्न भाव): Saturn's placement affect 
    • व्यक्ति गंभीर, अनुशासित और जिम्मेदार होता है।
    • जीवन में देरी या संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन धैर्य और मेहनत से सफलता मिलती है।
    • स्वास्थ्य को लेकर थोड़ी चिंता हो सकती है।
  2. द्वितीय भाव (धन भाव): Saturn's placement affect 
    • धन संचय धीरे-धीरे होता है, शुरुआती जीवन में आर्थिक कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
    • व्यक्ति बोलचाल में संयमित होता है, परिवार के प्रति जिम्मेदारी निभाता है।
  3. तृतीय भाव (पराक्रम भाव):  Saturn's placement affect 
    • व्यक्ति साहसी, मेहनती और दृढ़ इच्छाशक्ति वाला होता है।
    • भाई-बहनों के साथ रिश्तों में कुछ तनाव हो सकता है।
    • मेहनत से पराक्रम में वृद्धि होती है।
  4. चतुर्थ भाव (सुख भाव):  Saturn's placement affect 
    • घर-परिवार और संपत्ति से जुड़े मामलों में देरी या कठिनाइयाँ हो सकती हैं।
    • माता से संबंधित मामलों में थोड़ा तनाव संभव है, लेकिन व्यक्ति अपने प्रयासों से स्थिरता पाता है।
  5. पंचम भाव (संतान भाव): Saturn's placement affect 
    • शिक्षा या संतान संबंधी मामलों में विलंब या कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
    • प्रेम संबंधों में गहराई और जिम्मेदारी का भाव होता है।
  6. षष्ठ भाव (रोग भाव): Saturn's placement affect 
    • शत्रुओं पर विजय मिलती है, लेकिन स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहना जरूरी है।
    • कानूनी या विवादित मामलों में लाभ होता है।
  7. सप्तम भाव (जीवनसाथी भाव): Saturn's placement affect 
    • विवाह में देरी हो सकती है, जीवनसाथी के साथ रिश्तों में गंभीरता और जिम्मेदारी होती है।
    • व्यापारिक साझेदारी में भी सतर्कता की आवश्यकता होती है।
  8. अष्टम भाव (मृत्यु भाव): Saturn's placement affect 
    • अचानक घटनाओं या परिवर्तनों का संकेत देता है, जीवन में रहस्यपूर्ण और आध्यात्मिक रुझान बढ़ सकते हैं।
    • दीर्घायु और कठिन परिस्थितियों में भी जीवटता बनाए रखने का संकेत देता है।
  9. नवम भाव (भाग्य भाव): Saturn's placement affect 
    • भाग्य में देर से वृद्धि होती है, लेकिन यह व्यक्ति को मेहनती और कर्मठ बनाता है।
    • व्यक्ति धर्म, आध्यात्मिकता, और दर्शन में रुचि रखता है।
  10. दशम भाव (कर्म भाव): Saturn's placement affect 
    • करियर में शनि का दशम भाव में होना व्यक्ति को मेहनती और जिम्मेदार बनाता है।
    • करियर में स्थायित्व और सफलता के लिए कड़ी मेहनत और धैर्य की जरूरत होती है।
  11. एकादश भाव (लाभ भाव): Saturn's placement affect 
    • शनि यहाँ शुभ होता है, जिससे व्यक्ति को जीवन में स्थायी लाभ और बड़ी उपलब्धियाँ मिलती हैं।
    • आय में स्थिरता होती है और व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान मिलता है।
  12. द्वादश भाव (व्यय भाव): Saturn's placement affect 
    • व्यक्ति को विदेश यात्रा या विदेश में स्थायित्व की संभावना हो सकती है।
    • खर्चों में वृद्धि हो सकती है, लेकिन आध्यात्मिकता की ओर रुझान भी बढ़ता है।
नोट: शनि के प्रभाव का सटीक विश्लेषण कुंडली की संपूर्ण स्थिति, ग्रहों की दृष्टि (अस्पेक्ट), और ग्रहों के संयोजन के आधार पर किया जाता है।  

Saturn's placement affect

शनि देव को शांत करने विशेष उपाय:-

  शनि देव को शांत करने और उनके अनुकूल प्रभाव प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष उपाय और मंत्रों का पालन किया जाता है। शनि देव कर्म और न्याय के देवता हैं, और यदि कुंडली में शनि की स्थिति अनुकूल नहीं है या शनि की साढ़े साती और ढैया का प्रभाव चल रहा हो, तो ये उपाय लाभकारी हो सकते हैं।

शनि देव के उपाय:

  1. काले तिल का दान: शनिवार को काले तिल, उड़द, सरसों का तेल, और काले कपड़े का दान करना शनि देव को प्रसन्न करता है। विशेषकर किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को दान देना शुभ होता है।
  2. सरसों के तेल का दीपक जलाना: शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इससे शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  3. पीपल की पूजा: शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और उसकी जड़ों में जल अर्पित करें। इसके साथ "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें। शनि पीपल में वास करते हैं, इसलिए पीपल की पूजा से शनि देव प्रसन्न होते हैं।
  4. काले घोड़े की नाल की अंगूठी: काले घोड़े की नाल से बनी अंगूठी को शनिवार के दिन धारण करना शनि के दुष्प्रभावों को कम करता है। इसे हमेशा दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए।
  5. शनिवार का व्रत: शनिवार के दिन शनि देव का व्रत रखें और शनि से जुड़े नियमों का पालन करें। इस दिन काले वस्त्र पहनें और नमक का सेवन न करें।
  6. शमी वृक्ष की पूजा: शमी के पेड़ की पूजा करना और शमी की जड़ को धारण करना भी शनि देव को प्रसन्न करता है। इसे शनिवार के दिन शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है।
  7. काले कुत्ते को भोजन कराना: काले कुत्ते या काले कौवे को शनिवार के दिन भोजन कराना शनि दोष को दूर करता है।
  8. हनुमान जी की पूजा: शनि देव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की पूजा करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। शनि देव हनुमान जी के भक्तों को कष्ट नहीं देते।

शनि देव के मंत्र

Saturn's placement affect   1. शनि बीज मंत्र: इस मंत्र का जाप 108 बार या अधिक करना शनि के अशुभ प्रभावों को कम करता है। ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। 2. शनि गायत्री मंत्र: इस मंत्र का जाप करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।
                       ॐ कृष्णाय विद्महे, रौद्राय धीमहि, तन्नः शनि: प्रचोदयात्।
3. दसाक्षरी मंत्र: यह मंत्र शनि देव के कोप से बचाने और जीवन में शांति बनाए रखने के लिए जपा जाता है।
                         ॐ श्री शनैश्चराय स्वाहा।
4. शनि स्तोत्र: शनि स्तोत्र का पाठ शनिवार के दिन शनि देव की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी उपाय है। यह स्तोत्र राजा दशरथ द्वारा रचित है और इसका नियमित पाठ करने            से शनि के दुष्प्रभाव कम होते हैं।

नमः कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निवासिने। नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः॥

  Saturn's placement affect

हनुमान चालीसा

   

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार । बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार ॥

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि पुत्र पवनसुतनामा ॥

महाबीर बिक्रमबजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुंडल कुँचित केसा ॥

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे । काँधे मूँज जनेऊ साजे ॥

शंकर सुवन केसरी नंदन । तेज प्रताप महाजगवंदन ॥

विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मनबसिया ॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा । विकट रूप धरि लंक जरावा ॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचंद्र के काज सवाँरे ॥

लाय सजीवन लखन जियाए । श्री रघुबीर हरषि उर लाए ॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई ॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावै । अस कहि श्रीपति कंठलगावै ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कवि कोविद कहि सके कहाँ ते ॥

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा । राम मिलाय राजपद दीन्हा ॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना । लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू । लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही । जलधि लाँघि गए अचरज नाही ॥

दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥

राम दुआरे तुम रखवारे । होत ना आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहैं तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहु को डरना ॥

आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हाँक तै कापै ॥

भूत पिशाच निकट नहि आवै । महावीर जब नाम सुनावै ॥

नासै रोग हरे सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

संकट तै हनुमान छुडावै । मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥

सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा ॥

और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै ॥

चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु संत के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ॥

राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥

तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

अंतकाल रघुवरपुर जाई । जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

और देवता चित्त ना धरई । हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥

संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥

जै जै जै हनुमान गुसाईँ । कृपा करहु गुरु देव की नाई ॥

जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा । होय सिद्ध साखी गौरीसा ॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥

दोहा

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप । राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥

॥ सियावर रामचन्द्र की जय ॥ ॥ पवनसुत हनुमान की जय ॥ ॥ उमापति महादेव की जय ॥

|| हर हर महा देव || 

शनि की साढ़े साती या ढैया के समय हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करना अत्यधिक फलदायी होता है, क्योंकि हनुमान जी की कृपा से शनि के दोष कम हो जाते हैं।

शनि से संबंधित उपाय और मंत्र का पालन नियमित और श्रद्धा के साथ करने पर शनि देव के अशुभ प्रभावों में कमी आती है और व्यक्ति को सफलता और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। यदि आपको शनि Saturn's placement affect या किसी भी ग्रह से सम्बंधित कोई समस्या या कैरियर , लव , शादी , गृह क्लेश इत्यादि कोई भी समस्या हो गुरु जी से अभी बात करें  और अपनी समस्या का समाधान पाएं  निचे दिए गए Call Now पर क्लीक करे  

 
X
× How can I help you?