वक्री शनि 2024 वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि का वक्री होने का एक अलग ही महत्व है, शनि को न्याय तथा कर्म का फल दाता कहा गया है आमतौर पर शनि को लेकर लोगों के मन में एक भय सा बना रहता है कि शनि हमेशा कष्ट ही देते हैं परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है यदि जातक पर शनि की कृपा हो जाए तो वही शनि जातक को रंक से राजा बन सकता है यदि शनि ऐसे में अपनी चाल बदले तो सभी राशियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है हम जानेंगे इस लेख में ।
शनि 30 जून 2024 रविवार को मध्य रात्रि 12: 35 से वक्री होने जा रहे हैं जो कि यह 15 नवंबर 2024 शुक्रवार को 7: 51 तक रहेंगे । शनि के वक्री गति के कुल अवधि है, वह 139 दिन की है। अब ऐसे में शनि का प्रभाव अलग-अलग राशियों पर हम देखेंगे तो आइए जानते हैं विस्तार से इस लेख के माध्यम से ।
वैदिक ज्योतिष अनुसार शनि का कुंडली में प्रभाव होने से जातक दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता है यदि शनि का प्रभाव शुभ हो शनि का प्रभाव जातक को न्याय प्रिय बनाता है जातक सदैव धर्म सत्य के साथ खड़ा रहता है जातक ईमानदार अपने जिम्मेवारियों के प्रति गंभीर रहता है, ऐसा जातक न्याय के क्षेत्र में बहुत नाम कमाता है, जातक बहुत कर्मठ होता है और हर कार्य को बड़ी लगन काफी मेहनत से करते हैं तर्कपूर्ण और न्याय संगत चीजों में यह काफी रुचि रखते हैं ।
यदि शनि कुंडली में कमजोर हो तो इसका असर हमारे जीवन पर क्या पड़ता है ?
कुंडली में शनि का कमजोर होना जातक को कई परेशानी का सामना करना पड़ता है जातक व्यवसाय जातक का करियर अच्छा नहीं होता है धन की हानि होती है, साथ ही जातक के मान सम्मान में कमी आती है ।
इनका सामाजिक जीवन अच्छा नहीं रहता है । वैवाहिक जीवन में भी काफी समस्याएं आती है, निर्णय लेने की क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है और जातक कहीं ना कहीं न्यायिक वाद-विवाद में फंसा रहता है और अपना नुकसान कर बैठता है ।
यदि शनि आपकी कुंडली में वक्री होकर बैठे हैं, तो कुंडली में शनि का गोचर उसके भाव स्थान के मुताबिक परिणाम देता है, शनि को कर्म फल देने वाला कहा जाता है । तो जातक के लिए शुभ और अशुभ दोनों परिणाम देगा शनि का वक्री होना अर्थात शनि की विपरीत दिशा में गति करना कहा जाता है अर्थात शनि आगे ना बढ़कर पीछे की ओर गति करना शुरू कर देते हैं यही शनि की वक्री अवस्था है ।
शनि का वक्री होना 2024 में 12 राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
कुंडली के पहले भाव में शनि का वक्र स्थिति में विराजमान होना जातक के लिए अत्यंत शुभ माना गया है, ऐसी स्थिति में जातक का जीवन स्तर बहुत अच्छा हो जाता है, पर जातक के लिए हृदय रोग का जोखिम बना रहता है ।
कुंडली के दूसरे भाव में शनि वक्री होकर बैठना जातक को धर्म के प्रति उदार बनता है, जातक जीवन में धन अर्जित करता है उसका सुख भी भोगता है।
जन्म पत्रिका में शनि तीसरे भाव में वक्री होना उसके पराक्रम में वृद्धि करता है, जातक नेता नेतृत्व नेतृत्व करने वाले होते हैं, यदि राजनीति में हो तो बड़ी अच्छी सफ़लता मिलेगी ।
यदि यहां शनि कमजोर हो तो जातक को असफलता का मुंह देखना पड़ता है । जातक के पराक्रम कमज़ोर, पड़ोसी से मनमुटाव, झगड़े और नोक झोंक की स्थिति लगातार देखने को मिलती है।
जन्म पत्रिका के चौथे भाव में शनि जातक के मन की स्थिति को प्रभावित करता है जातक अपनी माता घर के बड़े लोगों को उनके स्वास्थ्य को लेकर परेशान रहता है, घर पर अधिक मेहनत करना पड़ता है। घर का पूरा बोझ जातक पर ही देखने को मिलता है। यू कहे की जातक को घर का सुख कम मिलता है ।
पांचवें भाव में शनि की स्थिति संतान परिवार के लिए जातक गंभीर नहीं होता है, ना ही प्रेम में अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं, अंततः जातक को प्रेम में धोखा भी मिलता है ।
छठे भाव में शनि की स्थिति धन लाभ संतान सुख तथा कभी अधिक यात्राएं करता है, कुटिल विरोधियों को अपने वश में करने वाला होता है।
सातवें भाव में शनि की स्थिति जातक के लिए अच्छा माना जाता है उनका पारिवारिक जीवन सुख में होता है, साथ ही अच्छा लाभ मिलता है।
आठवें भाव में शनि जातक को लंबी उम्र देता है परंतु भाई-बहन को शत्रु बनाने का भी काम करता है, इनके पिता की आयु लंबी नहीं होती है।
कुंडली के नवे भाव में शनि का विराजमान होना जातक को जीवन में सुख देता है, ऐसा जातक ट्रैवल और इंजीनियरिंग सेक्टर में अच्छे नाम और अच्छा पैसा कमाते हैं ।
कुंडली के दशम भाव में शनि की स्थिति जातक को चतुर निर्भय ऐसा जातक धन अर्जित करने में सफल होते हैं, अपना घर बनाने में सफल होते हैं और उन्हें सरकार से भी लाभ मिलता है ।
एकादश भाव में शनि की स्थिति जातक को संतान सुख देता है । जातक की आयु लंबी होती है , और समय बीतने के साथ जातक सफलता की सीढ़ी चढ़ते चले जाते हैं ।
शनि के द्वादश भाव में स्थिति जातक के लिए शुभ फलदाई होता है पारिवारिक जीवन जातक का बहुत अच्छा होता है । व्यापार में भी बहुत अच्छी सफलता मिलती है। जातक धनवान होते हैं परंतु हृदय के कठोर होते हैं ।
लेखक :- श्री अरिदमन (एस्ट्रोलॉजर)