काल भैरव अष्टक के लाभ और पूजन कैसे करें ?/शत्रु बाधा निवारण
परिचय -भगवन काल भैरव भगवान शिव के उग्र स्वरुप हैं। जिनकी महिमा की जितनी भी व्यख्या की जाये कम है। इनके आशीर्वाद मात्र से आपके रोग , ग्रहों के दोष और शत्रु का समूल नाश अति शीघ्र हो जाता हैं।
1 . काल भैरव की पूजा में सावधानी क्या रखना चाहिए ?
काल भैरव अष्टक के लाभ और पूजन कैसे करें ?/शत्रु बाधा निवारण यदि सच्ची श्रद्धा और विश्वास से की जाए। परन्तु यदि शत्रु दोषी न हो और आप उसका विनाश करने हेतु ये पूजा और इस स्त्रोत का पाठ करने जा रहे हैं , तो सावधान रहे इसका आपको विपरीत परिणाम भुगतने होंगे । इस लेख में वर्णित व्यख्या के प्रमाण अनेक शास्त्रों में मिलती है। यदि आपको किसी भी तरह का परामर्श चाहिए तो अभी हमसे जुड़े कॉल या चैट ऐस्ट्रो श्री अरिदमन के साथ2. काल भैरव अष्टक के लाभ क्या हैं।
काल भैरव अष्टक के लाभ और पूजन कैसे करें ?/ शत्रु बाधा निवारण -इस लेख में हम आईये जानते है की इस स्त्रोत के पढ़ने से ग्रह दोष , भयंकर रोग , और शत्रु बाधा से मुक्ति साथ ही व्यापार में सफलता आदि हेतु आप इस स्त्रोत को पढ़े और इसका लाभ उठा सकते है।3. क्या आप मंगल और राहु के योग के कारण भी परेशांन है ?
काल भैरव अष्टक के लाभ और पूजन कैसे करें ?/शत्रु बाधा निवारण ये भी है की आप यदि राहु +मंगल के दोषों से परेशान हैं , और इनसे जुडी समस्या आ रही है तो आप भगवान् काल भैरव की पूजा और काल भैरव अष्टक का रोज नियम का पालन करते हुए पाठ करें तो निश्चित आपको इन ग्रहों की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।4. राहु- केतु की समस्या से निजात पाने के लिए क्या करें ?
भी काल भैरव की पूजा अर्चना का विधान शास्त्रों में वर्णित हैं। साथ ही काल भैरव अष्टक के लाभ इसका पाठ अति लाभकारी है ,खासकर राहु और केतु की दशा और अंतर दशा में।5. काल भैरव की पूजा में भोग क्या लगा सकते है ?
काल भैरव की पूजा में आप काली उड़द से बनी चीज़ें , दहीबड़ा , उड़द से बने लड्डू , मेवा आदि का भोग लगाने से भगवान् भैरव अति प्रसन्न होते हैं। इनकी पूजा में नियम का विशेष ध्यान रखना होता है अन्यथा बुरे परिणाम भी अति शीघ्र दिखने लगते है , चुकी हमने पहले ही बता दिया है , की ये भगवान शिव के उग्र स्वरुप हैं जो जरा सी भूल होने पर तुरंत गुस्सा भी हो जाते हैं। और अच्छे विचार और भाव से करे तो शीघ्र प्रसन्न भी। ये इस कलयुग के जाग्रत देवताओं में एक है जिनकी आराधना शीघ्र फलदायी होता है।6. काल भैरव की पूजा किस दिन करें?
काल भैरव अष्टक के लाभ और पूजन कैसे करें ?/शत्रु बाधा निवारण हेतु वैसे आप काल भैरव की पूजा किसी भी दिन कर सकते हैं , परन्तु विषेशकर शनिवार को करना बहुत अच्छा रहता है।श्री काल भैरव अष्टकम
|| श्री गणेशाय नमः || || श्री गुरुवे नमः ||
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् । नारदादियोगिवृन्द वन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ १॥
भानु कोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठ मीप्सितार्थ दायकं त्रिलोचनम् । काल कालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ २॥
शूलटक पाश दण्डपाणि मादिकारणं श्याम कायमादिदेवमक्षरं निरामयम् । भीम विक्रमं प्रभुं विचित्र ताण्डव प्रियं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ३॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् । विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥ ४॥
धर्म सेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् । स्वर्णवर्ण शेष पाश शोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ५॥
रत्न पादुका प्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् । मृत्यु दर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ६॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् । अष्ट सिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ७॥
भूत संघनायकं विशाल कीर्ति दायकं काशि वास लोक पुण्य पाप शोधकं विभुम् । नीति मार्ग कोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ८॥
कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् । शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥ ९ ॥
॥ इति कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥
॥ श्री गुरुदत्तात्रेयार्पणमस्तु ॥
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