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माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ?और चमत्कारिक प्रयोग ?(२०२४)

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माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? और चमत्कारिक प्रयोग

माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ?और चमत्कारिक प्रयोग ?(२०२४)

|| माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ||माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? और चमत्कारिक प्रयोग

 

माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? और चमत्कारिक प्रयोग ?(२०२४)

माँ दुर्गा स्तुति मंत्र के प्रयोग

माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? और उनकी तंत्र साधना मां दुर्गा एवं 10 महा साधना उनकी सिद्धि प्राप्त करने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है यह साधना सामान्य ज्ञान के लिए सहज और संभव नहीं हो पता हैं माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? और उनकी तंत्र साधना मां दुर्गा एवं 10 महा साधना उनकी सिद्धि प्राप्त करने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है यह साधना है सामान्य ज्ञान के लिए सहज और संभव नहीं हो पता वही नवदुर्गा के रूपों की साधना पूजा अर्चना विधान सहज सरल एवं सौम्य इन्हें कोई भी साधारण गृहस्थ संपन्न कर सकता है की साधना का फल दक्षिण प्राप्त भी हो जाता है यह साधना है गृहस्थ को ध्यान में रखकर है किसकी रचना की थी ताकि माता के भक्तों को सांसारिक कष्टो  से मुक्ति मिल सके नवदुर्गा की साधना सबसे सहज पथ है मां दुर्गा को प्राप्त करना उन्हें प्रसन्न करना वर्ष में ऐसे दो बार अवसर आते हैं जब हम मां दुर्गा की विशेष पूजा आराधना करते हैं इस अवधि में तांत्रिक साधनाएं भी संपन्न की जाती है वर्ष के प्रथम नवरात्र को  हम गुप्त नवरात्रि के नाम से भी जानते हैं और शरद ऋतु में जो नवरात्र होती है उसे मूल्य नवरात्रि के नाम से जानते हैं माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ?और चमत्कारिक प्रयोग ? माँ दुर्गा स्तुति मंत्र? और चमत्कारिक प्रयोग  माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? इन नवरात्रि के अवसर पर भगवती दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का विधान है तंत्र परंपरा में भी नवरात्र का कुछ विशेष महत्व रहा है नवरात्रि का अर्थ विशेष रात्रि  जो खासकर पूजा अनुष्ठान एवं साधना क्रिया के लिए रहती है न की  सांसारिक कार्यों के लिए।  परंतु यह नवरात्र कुछ विशिष्ट ही अपना प्रभाव रखती है यह नवरात्र खास तौर पर पूजा अर्चना और आराधना के लिए है और इसका उपयोग और महत्व बड़े ज्ञानी जनों ने स्वीकार भी किया,  वैसे तो नवरात्र समाचार चैत्र नवरात्रि आषाढ़ नवरात्र अश्विन नवरात्रि इन नवरात्रि अर्थात जो रातों को पवित्र रात्रिया कहां गया है इसकी शुरुआत शुक्ल पक्ष की प्रताप प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक रहती है चैत्र नवरात्र को बसंती तथा अश्विन नवरात्रि को कहां गया है और माघ महीने में आने वाले नवरात्र को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है ये गुप्त नवरात्रि तांत्रिकों के लिए एक विशेष महत्व रखता है अर्थात तांत्रिकों के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह गुप्त नवरात्र होते हैं नवरात्र विशेषता तो पूरे भारत में एक बड़े त्यौहार के रूप में मनाया जाता है परंतु बंगाल बिहार असम मैं खास तौर से ही मनाया जाता है नवरात्रि के दौरान मां के मंदिर में सुबह शाम पूजा अर्चना आरती का क्रम चलता रहता है मां को अलग अलग 9 दिन अलग अलग लगाने का विधि विधान रहा है प्राचीन समय में बंगाल बिहार असम में बाली और यहां तक की नरबलि भी प्रचलित थी परंतु प्रचलन में नहीं रहा नरबलि के रूप में केले और पशु बलि के रूप में पेठे का प्रयोग किया जाता है गन्ने की बाली समृद्धि प्राप्ति के लिए की जाती है वही बंगाली समाज एक दिनमाँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? से पूजा कर  तामसिक निवेदन करता है उनका नवमी के दिन पूजा के रूप में छोटी कन्याओं को मां के रूप में पूजा जाता है सजाया जाता है वही दशमी के दिन मां की प्रतिमा के सामने बड़े चोरी पत्र में दूध और विशेष पूजन सामग्री रखा जाता है इस और एक पत्र में बड़ा बड़े से पत्र में जल रखा जाता है जल के बीच में एक दर्पण आंखें चरणों का प्रतिबिंब बन सके पूजा को प्रणाम घर की बेटी की तरह मां दुर्गा की विदाई की जाती है बंगाल की महिलाएं परस्पर सिंदूर की होली इस दिन खेलती हैं मंगल ध्वनि उत्पन्न करते हुए और नम आंखों से मन की विदाई की जाती है कृष्ण नवरात्र में मंत्र 4 के अलावा महामाई के भजन जगराता बड़े हंसो उल्लास के साथ कुछ साधक तो पूरे 9 दिन तक व्रत रखते हैं कुछ तो पानी तक भी ग्रहण नहीं करते कुछ अपने शरीर पर मिट्टी डालकर उसके ऊपर जो का रोपण लेते हैं कुछ तो अपने शरीर पर अखंड घी का दीपक जलाकर मां की साधना पूरे 9 दिन करते हैं मां जो रूप शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा कूष्मांडा स्कंदमाता कात्यायनी कालरात्रि महागौरी शिवरात्रि का प्रतिनिधित्व करती है मित्र शास्त्र में कन्या पूजन में से 10 वर्ष तक की गांव को पूजने का विधान है पूजा साधारण दया अष्टमी या नवमी तिथि को नौ कन्याओं के साथ एक लंगूर की पूजा मां की आराधना का एक खास अंग माना गया है तथा बटुक भैरव तांत्रिक ग में 2 वर्ष की कन्या को कुमारी यूनिवर्सिटी कन्या को त्रिमूर्ति 4 वर्ष की कन्या कल्याणी 5 वर्ष की कन्या को रोहिणी 6 वर्ष की कन्या 7 वर्ष की शांभवी 8 वर्ष की सुभद्रा इस तरह के नाम दिए गए माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? मां की पूजा के साथ इन कंजक ऑन की पूजा करने से दुख दरिद्रता स्त्रियों का नाश होता है बुद्धि विद्या इसकी वृद्धि होती है इनमें खास तौर पर मूर्ति के पूजन से प्राप्ति होती है त्रिमूर्ति अर्थात 3 वर्ष की कन्या के पूजन से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है कल्याणी के पूजन से 4 वर्ष की कन्या के पूजन से सर्व मनोकामना सिद्ध  एवं विजय की प्राप्ति होती है,  वही रोहिणी के पूजन से अर्थात 5 वर्ष की कन्या के पूजन से को का नाश होता है अर्थात 6 वर्ष की कन्या के पूजन से शत्रु भाई शत्रु भाई का नाश होता है शांभवी अर्थात 7 वर्ष की शिवपूजन से और बढ़ाया चलती है तथा मुकदमे में विजय प्राप्त होती है वही 8 वर्ष की कन्या के पूजन से व्यक्ति को ऐश्वर्या समृद्धि की प्राप्ति होती ।   माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? और चमत्कारिक प्रयोग  - ऋषि मार्कंडेय द्वारा प्रदत्त भगवती पुराण अर्थात दुर्गा सप्तशती मैं उल्लेख करते हुए लिखा गया है

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्

।। पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।

  माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? नवरात्रि के अवसर पर इन्हीं नौ रूपों की साधना विधि विधान रहा है नवरात्रि के अवसर पर प्रत्येक रात्रि क्रमशः स्वरूप की आराधना का विधान मां की आराधना प्रत्येक दिन व्रत रखकर शुद्ध सात्विक संपन्न होती है।  तो आईए जानते हैं इस लेख माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ?  और चमत्कारिक प्रयोग । प्रथम रात्रि पूजा  प्रथम रात्रि को मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की आराधना की जाती है मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा यह विश्व पर सवार रहती है उनके दाएं हाथ में त्रिशूल बाएं हाथ में कमल पुश सुशोभित रहता है मां का यह स्वरूप अनंत शक्तियों का सौम्या प्रतीक है जो जन्म जन्मांतर से व्यक्ति के मूलाधार चक्र पर सुषुप्त अवस्था में निष्क्रिय रहती है लेकिन यदि यह जागृत हो जाए तो उसे व्यक्ति को वसीम क्षमता से संपन्न कर देती माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? से नवरात्रि को मां के स्वरूप की पूजा करने से  दुख दरिद्रता से मुक्ति पाने तथा विवाह संबंधी बढ़ाओ को दूर करने के लिए किया जाता है मां शैलपुत्री की उपासना का मंत्र निम्न है -

मां शैलपुत्री बीज मंत्र ह्रीं शिवायै नम:

प्रार्थना मंत्र वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

मां दुर्गा स्तुति  मंत्र

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।

 

आप निम्न - माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? मंत्र से भी मां की पूजा कर सकते हैं इसका जाप करके 

 

बीज मंत्र 

ऊँ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:

 

माता शैलपुत्री देवी स्तोत्र

प्रथम दुर्गा त्वहिभवसागर तारणीम्। धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥

त्रिलोकजननींत्वंहिपरमानंद प्रदीयनाम्। सौभाग्यारोग्यदायनीशैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥

चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन। भुक्ति, मुक्ति दायनी,शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥

चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन। भुक्ति, मुक्ति दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥

दूसरी रात्रि पूजा माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? से नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा आराधना ब्रह्मचारिणी शब्द का शाब्दिक अर्थ करने वाली मां ब्रह्मचारिणी साधना में लीन रहने वाली मां ब्रह्मचारिणी का हमारे शरीर में स्वाधिष्ठान मां ब्रह्मचारिणी की पूजा आराधना से सड़क को विद्या बुद्धि ज्ञान की वृद्धि होती है राजस्थान चक्र पर स्थान होने के कारण चक्र जागृत हो जाए तो। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत तेज उनके दाएं हाथ में जबकि माला बाएं हाथ में कमंडल भागवत पुराण अनुसार भगवान शिव को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए मां ने घोर तपस्या की थी जो सड़क मां के स्वरूप की विधि व्रत पूजा अर्चना करता है निश्चित ही मां उनकी समस्त बढ़ाएं दूर कर देती और साधक  को सर्वत्र विजय प्राप्त होता है। ब्रह्मचारिणी देवी की उपासना का मंत्र

मां ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र

ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:

प्रार्थना मंत्र

दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

तृतीय रात्रि पूजा माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ? से मां भगवती के तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है इनके मस्तक पर घंटे की आकार की अर्धचंद्र कृति झलकती रहती है इन्हें इसी नाम से चंद्रघंटा कहा जाता है इनका स्वरूप स्वर्ण की भांति कांति में है तीन नेत्र हैं 10 हाथ इन 10 हाथों में क्रमशः खड़क शास्त्र बंद आदि मां चंद्रघंटा की सवारी सिंह है मां का यह स्वरूप शांति दायक जो सड़क मां का कृपा पात्र बन जाता है उसके समस्त और बढ़ाएं बढ़ाएं स्वयं टल जाती मां चंद्रघंटा का स्थान चक्र माना गया है अभ्यास से व्यक्ति है यदि मणिपुर चक्र को जागृत कर ले तू सदा कॉल ऑफिस शक्तियां प्राप्त होने लगती है।

माँ  चंद्रघंटा बीज मंत्र

ऐं श्रीं शक्तयै नम:

 

प्रार्थना मंत्र

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

 

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

  चतुर्थ रात्रि पूजा  माँ  भगवती के चौथे स्वरुप का नाम माँ कुष्मांडा इनकी आठ भुजाएं हैं. माँ कुष्मांडा को सिद्धि के देवी कहा गया है।   कूष्मांडा की पूजा आराधना से  सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।  आप यदि सरकारी नौकरी की चाह रखते है तो आपको माँ  कुष्मांडा की पूजा आराधना पुरे विधि विधान से करनी चाहिए और माँ को प्रसन्न करके माँ कुष्मांडा का आशीर्वाद ले।

मां कुष्मांडा  बीज मंत्र

ॐ ह्रीं क्लीं कुष्मांडाये नमः

प्रार्थना मंत्र

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

स्तुति मंत्र

ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

 या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता ॥

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

पंचम रात्रि पूजा इस दिन माँ दुर्गा के पांचवे स्वरुप, माँ स्कन्दमाता की पूजा की जाती हैं। माँ अपनी गॉद  में अपने पुत्र भगवान कार्तिकेय विराजमान है। माना जाता है कि माँ स्कंदमाता की पूजा करने और  कथा पढ़ने या सुनने मात्र से भी संतान सुख के योग बनते हैं । अतः जो भी संतान  सुख से वंचित है।  भगवान कार्तिकेय को स्कंदकुमार भी कहा जाता है। इनकी पूजा से गुरु ग्रह अच्छे फल देते है।  साथ ही संतान से समबन्धित कोई भी समस्या यदि  आपके जीवन में आ रही हो तो  आप इनकी पूजा करे आपकी संतान आपका कहना मानेगा और उसके सुख सम्पत्ति में वृद्धि होगी।  

मां स्कंदमाता  बीज मंत्र

ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥

प्रार्थना मंत्र

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्द रूपेण संस्थिता ॥

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

छठा रात्रि  पूजा  इस दिन माँ दुर्गा के छठे स्वरुप, माँ  कात्यायनी की पूजा आरधना और इनकी कथा का विधान है।  यदि आपकी कुंडली में राहु एवं काल सर्प दोष है , और आपके जीवन में समस्याएं पीछा नहीं छोड़ रही है तो आप माँ कात्यायनी की पूजा पुरे विधि विधान से करे।  आपके जीवन से इस प्रकार की समस्याएं दूर हो जाएगी।  यदि आपके जीवन में राहु से समबन्धित समस्याएं आ रही है। तो आज ही माँ के शरण में जाये और नियमित रूप से माँ की पूजा आराधना करे।  

मां कात्यायनी  बीज मंत्र

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

प्रार्थना मंत्र

 चन्द्रहासोज्जवलकराशार्दुलवरवाहना।

कात्यायनी  शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु कात्यायनी रूपेण संस्थिता ॥

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

  सप्तम रात्रि पूजा  इस दिन माँ दुर्गा के सप्तम स्वरुप, माँ  कालरात्रि  की पूजा आरधना और इनकी कथा का विधान है। माँ कालरात्रि की पूजा से आपके शत्रुओं का विनाश होता है औरन उनसे सदा के लिए छुटकारा मिलता है।  इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह  काला है।  बाल बिखरे हुए । गले में विद्युत की  माला है। इनके तीन नेत्र हैं।  इनकी नाक से  सदैव अग्रि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं। इनका वाहन गधा है।

मां कालरात्रि  बीज मंत्र

ॐ देवी कालरात्रि नमः॥

प्रार्थना मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।

वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ  कालरात्रि रूपेण संस्थिता ॥

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

अष्टम रात्रि पूजा  इस दिन माँ दुर्गा के अष्टम  स्वरुप, माँ  महगौरी   की पूजा आरधना और इनकी कथा का विधान है। इनकी पूजन से समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। माहगौरी सुहागन के सुहाग की रक्षा करती है।  माँ उनके वैवाहिक जीवन को सुखमय बनती है । शास्त्रों में वर्णित इनकी उपासना से भक्त के जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। माँ महागौरी का रंग अत्यंत गोरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है।

माँ  महागौरी बीज मंत्र

ॐ देवी महागौरी नमः॥

प्रार्थना मंत्र

श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ  महागौरी रूपेण संस्थिता ॥

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवम रात्रि पूजा  इस दिन माँ दुर्गा के नवम  स्वरुप, माँ  सिद्धिदात्री की पूजा आरधना और इनकी कथा का विधान है। सिद्धिदात्री की पूजा सभी सिद्धियों को देने वाली है।  माँ  नवरात्रि के आखिरी दिन यानी नवमी तिथि को बहुत शुभ माना जाता है।  नवमी के दिन नौ कन्याओं की पूजा करें और उन्हें घर बुलाकर भोजन अवश्य करना चाहिए।

माँ  सिद्धिदात्री बीज मंत्र

ॐ देवी सिद्धिदात्री नमः॥

प्रार्थना मंत्र

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ  सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता ॥

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

  सबसे खास ध्यान देने योग्य बात  शास्त्रों के अनुसार, नवमी के दिन लौकी खाना मांस खाने के बराबर माना जाता है. ऐसा करने से पाप लगता है । वहीं, अष्टमी के दिन नारियल और लाल साग नहीं खाना चाहिए ।

One thought on “माँ दुर्गा स्तुति मंत्र ?और चमत्कारिक प्रयोग ?(२०२४)

  1. Thanku bhaiya ap bahut jyda meri help krte ho thanks so much

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